Monday 23 November 2009

खुदा की खुदाई

बंज़ारानामा के अतिरिक्त, नज़ीर की आदमीनामा, रोटी, बचपन, आदि नज़्म काफ़ी चर्चित रही हैं और मुझे भी प्रिय हैं. किंतु एक और नज़्म मुझे सदा से अद्भुत लगी है-शायद 'खुदा की खुदाई' के नाम से. इसे भी अपने आइ-पॉड के लिए किया था, दुष्यंत की कुछ ग़ज़लों और एक अनाम भजन के संग. एक बार फिर, अपनी धृष्टता के लिए क्षमा प्रार्थना सहित.

Sunday 22 November 2009

बंज़ारानामा

नज़ीर का बंज़ारानामा मेरी टूटी फूटी आवाज़ में. कृपया तस्वीरों को नज़रअंदाज़ कर दें और आवाज़ को भी. जो मायने रखता है उस पर ही ध्यान दें. मुझे ये लिखने से आसान लगा. वैसे भी ये मैने अपने आइ-पॉड के लिए किया था लेकिन चूँकि इस ब्लॉग साइट पर ऑडियो अपलोड नहीं कर सकते तो ये वीडियो के रूप में डालना पड़ा.