बंज़ारानामा के अतिरिक्त, नज़ीर की आदमीनामा, रोटी, बचपन, आदि नज़्म काफ़ी चर्चित रही हैं और मुझे भी प्रिय हैं. किंतु एक और नज़्म मुझे सदा से अद्भुत लगी है-शायद 'खुदा की खुदाई' के नाम से. इसे भी अपने आइ-पॉड के लिए किया था, दुष्यंत की कुछ ग़ज़लों और एक अनाम भजन के संग. एक बार फिर, अपनी धृष्टता के लिए क्षमा प्रार्थना सहित.
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