Sunday, 22 November 2009

बंज़ारानामा

नज़ीर का बंज़ारानामा मेरी टूटी फूटी आवाज़ में. कृपया तस्वीरों को नज़रअंदाज़ कर दें और आवाज़ को भी. जो मायने रखता है उस पर ही ध्यान दें. मुझे ये लिखने से आसान लगा. वैसे भी ये मैने अपने आइ-पॉड के लिए किया था लेकिन चूँकि इस ब्लॉग साइट पर ऑडियो अपलोड नहीं कर सकते तो ये वीडियो के रूप में डालना पड़ा.

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